ऐतिहासिक >> अरुणाचल का आदिकालीन इतिहास अरुणाचल का आदिकालीन इतिहासएल.एन. चक्रवर्तीसच्चिदानन्द चतुर्वेदी
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अरुणाचल प्रदेश, जिसे ‘नेफा’ के नाम से भी जाना जाता रहा है, के इतिहास से भारतीय आज भी पूरी तरह परिचित नहीं हैं। इसका एक कारण इस विषय पर पुस्तकों की कमी भी रहा है। उत्तर में तिब्बत, दक्षिण में असम घाटी, पूर्व में बर्मा और तिब्बत तथा पश्चिम मे भूटान और असम से घिरे इस राज्य के इतिहास को जानना भारत के अन्य राज्यों के लोगों के लिए अत्यधिक रुचिकर और रोमांचक होगा।
सन् 1865 तक केवल तीन अवशेष, कामेंग जिला में भालुकपुग और लोहित जिले में ताम्रेश्वरी मंदिर तथा भीष्मक नगर, ही ज्ञात थे। इन अवशेषों से यह ज्ञात होता था कि यहां रहने वाली जनजातियां राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा अन्य कई प्रकार से अत्यधिक विकसित थीं। आज शिक्षा और ज्ञान के प्रसार में तेजी से हुए विकास ने लोगों को इस दिशा में खोज करने को प्रेरित किया और जैसे-जैसे इतिहास के पन्ने खुलते गार, हमें अपने इतिहास पर गर्व होने लगा। प्रस्तुत पुस्तक में इसी इतिहास की गौरवपूर्ण झलक देखने को मिलती है।
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